मैं और वो
मैं और वो
मैं गाँव से,
शहर को चला
और वो मुझसे,
दूर हुआ।
मैंने पैसे से खुशियों को,
ख़रीदा पर,
वो मुझसे दूर हुआ।
रुतबा, शोहरत,
मेरे कदम चूमने लगी,
फिर भी वो,
मुझसे दूर हुआ।
समाज ने कहा,
मैंने करके दिखाया
बावजूद इसके,
वो मुझसे दूर हुआ।
आज मौत दरवाजे पर,
दस्तक दे रही है
और मुझे तलाश है तो,
सिर्फ और सिर्फ उसकी।
पर वो आज कहीं,
नजर नहीं आ रहा,
पता है वो कोई और नहीं,
खुद "मैं" था।
