STORYMIRROR

Harshit Agrawal

Drama

1  

Harshit Agrawal

Drama

इंसानियत का बाजार

इंसानियत का बाजार

1 min
429


जिंदगी के बाज़ार में,

शोहरत की दुकानें,

जोरों पर है।


सुना है सौदागर,

इंसानियत बेच,

हैसियत खरीद रहे हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama