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Navni Chauhan

Romance

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Navni Chauhan

Romance

हसरतें

हसरतें

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एक लम्हा गुज़रा है,

उस हसीं पल को जीने में,

जुस्तजू अब भी जिसकी,

सुकून दे सीने में।

अब भी आरज़ू 

उस रंगीन चाहत की हमें

उम्र गुज़री है, जिसकी तलबगीरी में।


डोरी सा वो लम्हा,

थे जिसके हम दो किनारे,

बा-दस्तूर मिला करते थे,

जिसके सहारे।

वो एहसास कभी राज़ था,

मेरे चेहरे की रौनक का।


अब तो रातें तन्हा कटती हैं,

तेरी यादों के सहारे।

हर ख्याल में फ़िक्र आज भी है तेरा,

मेरी अज़ान, मेरी नमाज़ में,

ज़िक्र अब भी तेरा।


खैर ! तुझसे मुलाकात - ए - हसरत,

आज भी है।

तेरे इश्क में फना हो जाने की ख्वाहिश,

आज भी है।

इक तेरी बेरुखी ने कर दिया ख़ामोश मुझे,

वर्ना,

तन्हा रातों में उस कुर्बत का एहसास,

मुझे आज भी है।


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