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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

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Dr Jogender Singh(jogi)

Romance

हर्फ नसीबो वाला

हर्फ नसीबो वाला

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छू कर गुज़रा कोई,

बगल से

ख़ुशबू हो गया हूं।


सवाल था वो,

इतना प्यारा ।

जवाब हो गया हूं।


सफ़ेद स्याह पन्नों

की लिखावट का,

अफसाना हो गया हूं।


पढ़ते पढ़ते कहानी ,

उसकी

ख़ुद से बेगाना हो गया हूं।


इतराऊं क्यों न नसीब पर अपने,

उस किताब का ,

एक हर्फ हो गया हूं।



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