हरी - हरी वसुंधरा
हरी - हरी वसुंधरा
हरी हरी वसुंधरा पर छा रहा धुँआ काला,
हमारे इस अत्याचार से नल का पानी सूखा जा रहा,
पेड़ -पैधा,जानवर, इंसान, कोई नहीं हैं अछूता इससे,
मृत्युलोक की तरफ जाएं,अस्थमा,कॉलेरा,डयरिया, कैंसर से,
इधर कार्बन डाई ऑक्साइड ने सूरज की आग में घी हैं डाला,
उधर ओजोन को भी सी फ सी ने छति हैं पहुंचाई,
सूरज की तपिस बढ़ी काल आया अकाल का,
फसलों का उत्पादन घटा, दुनिया ने मंहगाई की चादर ओढ़ी,
नदियाँ से नालों को जोड़कर बहादुरी हम हैं दिखाते,
न सोचते न समझते,चारों तरफ़ गंदगी हैं फैलाते,
जानवरों को मारकर,पौधे को कुचलकर,
कूड़ा को जला कर,आवाज़ को बढ़ा कर,
जिंदगी के साथ हम खेलते,परिणाम स्वरूप परेशानी हम झेलते,
रोको इस से पहले की यह इज़ाद हो,
सम्भल जाओ इन्सान ,इससे पहले की सर्वनाश हो ।।
