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Rinku Kumari

Romance

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Rinku Kumari

Romance

एक एहसास

एक एहसास

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एक एहसास जो हकीकत में परे है,

कुछ अधूरा सा है

आज भी

जब सब अपना सा है

मगर एक सपना सा है

कही कुछ टूटा है

शायद.......


वो एहसास जो तुम्हारे होने का था,

वो एहसास जो तुम्हारे छूने का था

वो चाहत जो तुम्हारी आँखों मे थी

क्यों......


भीड़ में भी अकेली हूँ मैं,

अपने लिए भी खुद एक पहेली हूँ मैं,

मेरे दिल मे एक अधूरी सी आस हैं,

तुम्हें छूने की, तुम्हें पाने की,

तुम्हारे दिल में दुनिया बसाने की

कहाँ हो तुम ?


कि अब चले आओ

कहीं ये न हो कि मेरा

अधूरापन मुझे खोखला कर दे

चले आओ मुझे पूरा कर दो, चले आओ....।।


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