एक एहसास
एक एहसास
एक एहसास जो हकीकत में परे है,
कुछ अधूरा सा हैं आज भी,
जब सब पूरा सा हैं,
मगर एक सपना सा है
कहीं कुछ टूटा सा है तो कही कुछ छूटा सा
शायद
वो एहसास जो तुम्हारे होने का था,
वो एहसास जो तुम्हारे छूने का था,
वो चाहत जो तुम्हारी आँखों में थी
वो खुशबू जो तुम्हारी सासो में थी
क्यू?
भीड़ में भी अकेली हूँ मैं,
अपने लिए भी ख़ुद एक पहेली हूँ मै,
शायद आज भी मुझे तुम्हारी ही आस हैं,
मेरे दिल में एक अधूरी सी प्यास है
तुम्हें छूने की तुम्हें पाने की
तुम्हारे दिल में दुनिया बसाने की
कहाँ हो तुम?
की अब चले आओ
कही ये न हो कि मेरा अधूरापन मुझे खोखला न कर दे!
चले आओ मुझे पूरा कर दो, चले आओ!

