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Rinku Kumari

Abstract

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Rinku Kumari

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ये वक़्त बीत जायेगा

ये वक़्त बीत जायेगा

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ये वक़्त बीत जायेगा !

आज गुजारा है ,

कल गुजर जायेगा !

मैं जब भी था,

ना जाने क्यों

जैसे.....

तेरा साया अभी भी मेरे पास था!

तुमको हर पल याद करता हूं,

अश्कों को नीर बना के यादों का घड़ा आज भी भरता हूं,

कहना कोई उनको जाके के मैं आज भी उनको

कितना याद करता हूं।

कोई कहता है के तू बहुत दूर गया है,

मेरा दिल कहता है के होके वो शायद मजबूर गया है,

फिर लगता है..

ये वक़्त बीत जायेगा !

आज गुजारा है ,

कल गुजर जायेगा !

मेरी साँसें रस्ता देख रही तुम्हारी,

इसको क्या मैं बतलाऊं,

दिल तो चलो नादान सही ,

लेकिन दरकन को कैसे समझाऊं!

हर आहट पे चौक रहा मेरा मन,

और इसे अब न कुछ भाये !

कुछ अज़ीज़ यादों को गले से लगाकर,

कहना चाहता है- लव यू पापा,

वो आपकी डॉट में उठती सुबह,

कोफ़ी की चुस्की संग रविवार को,

बिस्तर पकड़कर पड़े रहना चाहता हूं!

आपकी डॉट से एक बार फिर उठना चाहता हूं!

फिर लगता हैं.....

ये वक़्त बीत जायेगा !

आज गुजारा हैं ,

कल गुजर जायेगा!


साहित्याला गुण द्या
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