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Lokeshwari Kashyap

Action Inspirational

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Lokeshwari Kashyap

Action Inspirational

हरी भरी वसुंधरा का उपहार

हरी भरी वसुंधरा का उपहार

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जब देने से सुख मिलता था, सबको मिलता था परमानंद l

जब लेने में सुख मिलने लगा, तब से खो गया आनंद l


देने की शिक्षा पाई जिनसे, आज उन्हें ही भुला दिया l

अपने ही हाथों से हमने, अपने ही जड़ को जला दिया l


धरती के आभूषण को हमने, कभी नहीं सम्मान दिया l

जिनसे जीवन चलता आया, उनका ही क्यों अपमान किया ?


सिलेंडरों में बंद हवा की, छीना झपटी अब क्यों कर रहे?

अब स्वास स्वास दुश्वार हुई, हर पल तिल तिल मर रहे l


वृक्ष अगर ना काटे होते, दो-चार ही सही लगाए होते l

आज ना यूं जीवन बेबस होता, क्रंदन के अश्रु ना गिरते l


नहीं हुई देर अभी भी, अब तो संभलो कुछ करो सुधार l

खुशहाल वसुंधरा करें, दे बच्चों को हरी भरी वसुधा का उपहार l


स्वस्थ सुखी समृद्ध होगा जीवन, जब हरियाली से समृद्ध होगी धरा l

शीतल मंद सुगंधित बहेगी हवा, स्वस्थ, शांत सबका तन मन होगा l


पंछी चहकेंगे डाली पर, वृक्ष फल फूल संग मुस्कुायगा l

झूला डाले इनकी छाया तले, बच्चों का बचपन खिल खिलाएगा l


हरियाली होगी जब भरपूर, बादल खींचे चले आएंगे l

नहीं रहेगा किसान उदास, खेत खलिहान लहलहाएंगे l


जब करेंगे प्रकृति का श्रृंगार, मिले स्वच्छ वातावरण उपहार l

पेड़ बचाओ वृक्ष लगाओ, करे धरनी को फिर खुशहाल l



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