हर रोज़ हर रात बिना भूले...
हर रोज़ हर रात बिना भूले...
1 min
417
हर रोज़ हर रात बिना भूले
दिनभर की थकान के बाद
सोने से पहले
उतार लेती हूँ एक बार
चेहरे से अपने वो दिखावटी मेकअप
जो चढ़ा लेती हूँ
हर दिन हर सुबह
अलग अलग किरदारों के रूप में
पत्नी, माँ, बहु-बेटी, भाभी
और नजाने कितने ऐसे
और भी अनेक मुखोटे
देख लेती हूँ फिर एक बार खुद को
निहार लेती हूँ आईने में अपने आप को
बिना किसी मुखोटे के
ताकि अपनी ही यादों में
याद कर सकूँ खुद को
पहचान सकूँ अपना खुद का
असली चेहरा, अपना असली वजूद........
हररोज़ हर रात बिना भूले........