हर पल ही होली
हर पल ही होली
ऐसा रंगा प्रीत में तूने,
दूजा रंग ही भाए न,
मेरे प्रियतम हर दिन है होली,
अब और कुछ भी भाए न,
खेले सब बस एक दिन होली,
मैं तो हर पल खेलूं रे,
प्रीत मिलन में मेरे श्याम,
तुझ संग होली खेलूं रे,
सब हुए लाल,गुलाबी,
मैं तेरे रंग ही रंग गयी रे,
अंग अंग में तेरा ही रंग,
कैसी बावरी हो गयी रे,
हुई मतवारी ऐसी मैं,
बस तेरी तेरी हो गयी रे,
मेरी होली भी बड़ी अनोखी,
खेलूं नित तेरे संग रे,
हर पल भीग तेरे ही रंग,
और भीगना चाहूं रे,
प्रेम रंग भी तेरा ऐसा,
रंगे मन का कोना कोना रे,
सब खोजे तुझे द्वारे द्वारे,
तू मन मे विराजे रे,
कभी मुस्काऊ,कभी नीर बहाऊँ,
कैसी मैं मतवारी रे
प्रेम रंग में डूब डूब मैं,
बस खोती ही जाऊँ रे,
खेल खेल बस तुझ संग होली,
बस रंगती तुझमे जाऊँ रे,
खोती तुझमे जाऊँ रे।।

