होस्टल और परिवार
होस्टल और परिवार
प्यारा परिवार सिमटकर बच्चे और पति पत्नी हो गए।
जिन्होंने किया पालन पोषण वे न जाने कहाँ से कहाँ खो गए।
बच्चे रहते हैं होस्टल में दोनों ऐसा कौन-सा फ़र्ज़ निभाते हैं
ज़िन्दा माँ-बाप अपने सुख की ख़ातिर यतीमों-सी जिंदगी जीते हैं।
अपनेपन को स्थान मिला नहीं तो आपको अपना कैसे जाने।
पीते तिरस्कार ज़हर, रहते किसी शहर कदर कैसे जाने
संयुक्त परिवार भी थे किस्से-कहानियों में परिवर्तित हो गए।
जिन्होंने किया पालन पोषण न जाने कहाँ से कहाँ वे खो गए।
