होली
होली
राधा ने जिससे प्रीत लगाई,
सारे जग के हैं वो कन्हाई,
गोपियों ने भी आस लगाई,
जब जब रंगीली होली आई।
भाग जाग गए गोकुल के,
मन रही होली मिलजुल के,
आज न रोकूँ तुमको कान्हा,
रंग लगा लो तुम खुल के।
अपने ही रंग में मुझको रंग दे,
और किसी से लेना क्या,
मेरे सपने भी तू रंग दे,
और किसी का होना क्या।
रंग प्रीत का ऐसा गाढ़ा,
दूर रहो या तुम हो पास,
नाम ही ले लें हम तो,
मन में भर जाता उल्लास।
