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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Romance

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बिमल तिवारी "आत्मबोध"

Romance

होली ग़ज़ल

होली ग़ज़ल

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नहीं देखती ग़रीब की बात है होली

ना ही देखती अमीर की साज़ है होली


सभी को एक रंग में सराबोर कर देती,पर 

तन पर नहीं छोड़ती तनिक दाग है होली


अगर बरसों से पल रहा हैं मन में कुछ तो

रगड़कर दूर कर देती हर भाव है होली


नफ़रत हवा हो जाती है मिलकर गले सबसे

बिगड़े सभी रिश्तें बनाती चाव है होली


मुबारक़वाद सबको कि सलामत सब रहें

कराती रहें यूँ ही सबमें लगाव है होली।।


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