हंसी
हंसी
मुस्कुराना तो एक कला है
पर हर शख्स यहां पगला है
चेहरा हंसता है पर दिल नही,
यहां दिल अंदर से जला है
हंसते रहनेवालों का जीवन
तूफानो में भी खिलाखिला है
रोते रहने से कुछ न होगा
मुस्कुराने से ये जीवन चला है
पर आज हंसी लुप्त हो गई है
वो लोगो के भीतर खो गई है
उनके चेहरे पर बनावटी हंसी है
प्राकृतिक हंसी से आज,
आ जाता जलजला है
लोगो को लगती है आजकल,
शुद्धता तो एक बला है
बनावटी हंसी न हंस साखी
शुद्ध हंसी से ही,लोगो को
वो नूर ए कोहिनूर मिला है
मुस्कुराने से तो शोला,
शबनम सा शीतल मिला है।