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Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance

4.9  

Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance

हम तुम्हे हर बार गायें

हम तुम्हे हर बार गायें

1 min
385


चोट गायें पीर गायें, या तुम्हारा प्यार गायें ।

दिल की बस हसरत यही है, हम तुम्हें हर बार गायें ।। 


गीत छेड़े थे मिलन के, आज कुछ बेकल खड़े हैं ।

मन के' इस एकांत घर में, आज भी विह्वल पड़े हैं ।

तुम ही' कह दो किस तरह हम, इस समय की मार गायें ....

चोट गायें..........।।


रौशनी ने हाथ खोले, और जिद भी कुछ न मानी ।

फिर भी शम्मा से न छूटी, इन अँधेरों की निशानी ।

तुम ही बोलो जिद लिखें या प्यार का उपकार गायें ......

चोट गायें.........।।


आ हमारे मन के आँगन, को नया आकार देना,

और गीतों की धुनों को, तुम ही अब शृंगार देना ।

कंठ के हर सुर में आना, ताकि कुछ मनुहार गायें.....

दिल की' .........।।


तुम गए हो आओगे भी, मन को है विश्वास पूरा , 

रह न जाए देखना तुम, स्वप्न का मौसम अधूरा ।

जन्मों जन्मों तक यही हम, भाग्य से तकरार गायें....

दिल की.............।। 



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