हम तुम
हम तुम
हो रात एक ऐसी जिसमें
हम तुम हो और खामोशी हो
मौन शब्द बन बात करें
नजरों की भाषा समझे
हम तुम नदी का वो किनारा हो।
कल कल की मधुर धारा हो
चांद की परछाई पानी में
भंवर होने का भ्रम दे
हमको समर्पण की आस जगे
मन में शिकवा न हो
एक दूजे से सुकून की लहर
मदमस्त करे ।
हो रात एक ऐसी जिसमें
हम तुम हो और खामोशी
बिन बोले तुम सुन लो मन की
मैं आंखों की भाषा पढ़ लूं।
आकाश की चादर ओढ़
हम तुम बस डूबे जायें एक दूजे में।
