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Sapna K S

Tragedy

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Sapna K S

Tragedy

हम ना समझे थे... बात इतनी सी....

हम ना समझे थे... बात इतनी सी....

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हम ना समझे थे बात इतनी -सी,

ख्वाब शीशे के....दुनिया पत्थर की....

.

क्या हमने खोया ... क्या तुमने पाया...

दिल ये नादान... बस ये ना समझ पाया...

तेरी नफरत ने हर लफ्ज बनकर ...

हमको आज अपनी औकात हैं दिखलाई....

हम ना समझे थे बात इतनी -सी,

ख्वाब शीशे के....दुनिया पत्थर की....

.

हम भी तेरे थे ... दिल भी तेरा था...

पर अपनी किस्मत की लकीरें जुदा सी थीं...

आज जो तेरे दहलीज से लौटे तो...

ना लौटने की कसम है खुदको दिलवाई....

हम ना समझे थे बात इतनी -सी,

ख्वाब शीशे के....दुनिया पत्थर की....

.

जिद्द भी मेरी थी...बेवफाई भी मेरे नाम तू लिख दे...

अब अपने आँसूओं को ... तेरे नाम से ना तडपायेंगे...

तू भूल जा मुझको... बस यहीं देता दिल अब दुहाई....

हम ना समझे थे बात इतनी -सी,

ख्वाब शीशे के....दुनिया पत्थर की....

.

ना फूल पाना है...ना काटों से दोस्ती है अब करनी...

बेवफा जमाने में जीना तो है..

पर खूद पर लपेटे तनहाई....

हम ना समझे थे बात इतनी -सी,

ख्वाब शीशे के....दुनिया पत्थर की....


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