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Rajeev Rawat

Romance

4.5  

Rajeev Rawat

Romance

हम मिलें न मिलें

हम मिलें न मिलें

1 min
191


कैसे कह दें

आशाओं की शाख पर

अहसासों के सावन में फूल खिलें न खिलें

हम तुम

ताजिन्दगी ख्वाहिशें लिए हुए

पल पल तरसते रहे अपने मिलन को

और मुकद्दर की बदनसीबी से हम मिलें न मिलें-


इस राह-ए-मोहब्बत पर

तन्हा चलना कहां होता है आसान - 

चुभते हैं पथरीली धरती के नुकीले पत्थर

और कितना भारी होता है तारों से आच्छादित आसमान - 


वो पल 

जो तुम्हारी श्वासों की खुशबू से महके थे-

वो पल 

जो तुम्हारी देहाग्नि की ज्वाला में

अनजाने दहके थे-


वो पल 

जब हमारे दिल 

एक नादान चिड़िया की तरह 

प्यार में करते हुए कलरव चहके थे-

और वह पल 

जो खामोशी की चादर 

ओढ़ कर

सपनों की सेज पर बहके थे-


मोहब्बत के बाग में 

यादों के दरख्तों पर उगते हुए पात-

जीवन की संध्या की बेला में करते हुए प्रतिघात - 


कैसे हो सकता है 

आज भी तुम्हारे झलकते अक्स

और आती हुई खुशबू-ए-बयार से हिलें न हिले-

हम तुम

ताजिन्दगी ख्वाहिशें लिए हुए

पल पल तरसते रहें अपने मिलन को

और मुकद्दर की बदनसीबी से हम मिलें न मिलें।


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