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Jitendra Meena

Tragedy

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Jitendra Meena

Tragedy

हम बेबस लाचार हैं मत सताओ हमें

हम बेबस लाचार हैं मत सताओ हमें

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सवाल थे मन मे बहुत ,

मगर अब कोई सवाल ही नहीं रहा ,

जिसको देखो खाए जा रहा है ,

कोई दुर्दशा की ओर देखता ही नहीं ,

गरीबो की बस्तियाँ उजड़ रही है ,

साहब , किसी को कोई फर्क ही नहीं पडता,

जिसको हमने गद्दी पर बैठाया,

उसी ने हमको सताया साहब ,

मत भूलों कि हम इस देश की आत्मा है ,

मत सताओ हमें मत रुलाओ हमें,

दुख हमें भी होता है ,

जिसको भी देखो पीछे पडा है ,

क्या हम इन्सान नजर नहीं आते ,

हम गरीब है साहब , मत सताओ हमें,

पता नहीं ,

तुम्हे हमारा खून पसंद है या जान,

लेकिन एक दिन भटकते हुए ,

ये भी चली जायेगी , 

हम बेबस लाचार है मत सताओ हमें ।।



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