हम बेबस लाचार हैं मत सताओ हमें
हम बेबस लाचार हैं मत सताओ हमें
सवाल थे मन मे बहुत ,
मगर अब कोई सवाल ही नहीं रहा ,
जिसको देखो खाए जा रहा है ,
कोई दुर्दशा की ओर देखता ही नहीं ,
गरीबो की बस्तियाँ उजड़ रही है ,
साहब , किसी को कोई फर्क ही नहीं पडता,
जिसको हमने गद्दी पर बैठाया,
उसी ने हमको सताया साहब ,
मत भूलों कि हम इस देश की आत्मा है ,
मत सताओ हमें मत रुलाओ हमें,
दुख हमें भी होता है ,
जिसको भी देखो पीछे पडा है ,
क्या हम इन्सान नजर नहीं आते ,
हम गरीब है साहब , मत सताओ हमें,
पता नहीं ,
तुम्हे हमारा खून पसंद है या जान,
लेकिन एक दिन भटकते हुए ,
ये भी चली जायेगी ,
हम बेबस लाचार है मत सताओ हमें ।।
