Jitendra Meena
Abstract
तुम्हे मैं शक्ल से
पागल दिखता हूँ
तो मै पागल ही हूँ
पर किस तरह का
पागल हूँ ये जानना
तुम्हारे वश की बात नही ।
हम किसान है
कौन है ?
एक पत्रकार
बिक चुका तंत्...
भलाई की खोज
पागल
अपना और पराया
वक्त की अहमिय...
फौजी ( बच्चे ...
अकेला हूँ
मैं किसी भगवान को नहीं मानता लेकिन माँ को मानता हूँ में माँ को। मैं किसी भगवान को नहीं मानता लेकिन माँ को मानता हूँ में माँ को।
न जाने किसकी सोच की उपज हूँ जो तेरे मन मे मै तुझसे कुछ कम हूँ न जाने किसकी सोच की उपज हूँ जो तेरे मन मे मै तुझसे कुछ कम हूँ
कुछ तस्वीरें ऐसी है जो हंसाती है तो कोई तस्वीर आज रुला जाती है। कुछ तस्वीरें ऐसी है जो हंसाती है तो कोई तस्वीर आज रुला जाती है।
पेड़ पौधे लगाने से ही हो पाएगा हमारे भविष्य का संरक्षण। पेड़ पौधे लगाने से ही हो पाएगा हमारे भविष्य का संरक्षण।
पहले मोहब्बत आज़माई थी अब से सब्र आज़माया जाएगा। पहले मोहब्बत आज़माई थी अब से सब्र आज़माया जाएगा।
तुझे चंदन कहूँ या रोली तुझे रंग कहूँ या रंगोली तुझसे ही है दिवाली तुझसे होती है होली। तुझे चंदन कहूँ या रोली तुझे रंग कहूँ या रंगोली तुझसे ही है दिवाली तुझसे ह...
आइनें घर के सारे तोड़ दिए है मैंने मश्विरे को अब उनके पास जाती हूँ। आइनें घर के सारे तोड़ दिए है मैंने मश्विरे को अब उनके पास जाती हूँ।
नींद नहीं आती अब बस है यही रोना आ आके सपने में डरा रहा है कोरोना। नींद नहीं आती अब बस है यही रोना आ आके सपने में डरा रहा है कोरोना।
पतझड़ में पत्ते गिरते हैं, मुसीबत में रिश्ते, काश फिर से थोड़ी इंसानियत ला दे वो खुदा । पतझड़ में पत्ते गिरते हैं, मुसीबत में रिश्ते, काश फिर से थोड़ी इंसानियत ला दे ...
झूठा है सब गर्व तेरा झूठा है सब अहंकार। झूठा है सब गर्व तेरा झूठा है सब अहंकार।
इस सर्द रात में शिकारियों का शिकार बनने से अपने आप को बचाने में नाकामयाब हो जाती होगी। इस सर्द रात में शिकारियों का शिकार बनने से अपने आप को बचाने में नाकामयाब हो जाती...
जिंदगी के लम्हो में साथ साथ जिया हमने गांव की गलियो में पचपन की शरारत। जिंदगी के लम्हो में साथ साथ जिया हमने गांव की गलियो में पचपन की शरारत।
दिल यह कांटो सा तीखा होकर दिल यह बातों में चुभता है । दिल यह कांटो सा तीखा होकर दिल यह बातों में चुभता है ।
जगत् का हो केवल कल्याण, जगत् है मेरी ही सन्तान, मैं हिंदी बोल रही हूँ। - २ जगत् का हो केवल कल्याण, जगत् है मेरी ही सन्तान, मैं हिंदी बोल रही हूँ। - २
दान में पाए पुण्य का हिसाब ना रख पाती, दूध पीते घी बनाती दही खाती पनीर बनाती। दान में पाए पुण्य का हिसाब ना रख पाती, दूध पीते घी बनाती दही खाती पनीर बनाती...
आईने के सामने है तुम्हारी बदलती तस्वीर के वो ख्वाब सारे देखो खुद को आज की तस्वीर के रंग आईने के सामने है तुम्हारी बदलती तस्वीर के वो ख्वाब सारे देखो खुद को आज की तस्वीर...
लहर है यह काले कहर की या शुरुआत है मीठे ज़हर की? लहर है यह काले कहर की या शुरुआत है मीठे ज़हर की?
वो दोस्त मुझको न भूलते मुझे याद आएं होली के दिन। वो दोस्त मुझको न भूलते मुझे याद आएं होली के दिन।
कामनाओं का नगर है ये संभल के चलता हूँ। कामनाओं का नगर है ये संभल के चलता हूँ।
पर इस काबिल नहीं कि तेरी ममता का कर्ज कभी उतार पाऊं मैं। पर इस काबिल नहीं कि तेरी ममता का कर्ज कभी उतार पाऊं मैं।