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Jitendra Meena

Others

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Jitendra Meena

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अकेला हूँ

अकेला हूँ

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आदत नहीं है फिर भी मुस्कुरा लेता हूँ 

गमों के बादलों को छुपा लेता हूँ।


आदत नहीं है फिर भी हंस लेता हूँ 

दुखों को हँसकर के छुपा लेता हूँ।


नहीं चाहता था दुखों को छुपाना

लोग हँसेंगे इसी डर से छुपा लेता हूँ।


नहीं चाहता था मैं अकेला रहना

लोग मजाक बनायेंगे अकेला रह लेता हूँ।


मैं भी चाहता हूँ खेलना कूदना 

बड़े है लोग यहाँ अकेला ही कर लेता हूँ।


मैं भी चाहता हूँ लोगों के साथ हंसना

लोग पागल समझेंगे अकेला हंस लेता हूँ।



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