हम अब चुप नहीं बैठेगें
हम अब चुप नहीं बैठेगें
सच को छिपाने के लिए !
झूठ को बताने के लिए !
न जाने तुम कहाँ तक गिरोगे ?
किस हद तक तुम हमारी हौसलों का हलाल करोगे ?
कब तक यूं ही हमारी उम्मीदों का कत्ल करोगे ?
तुम चाहे बना लो बनानी तुम्हें जितनी धाराएँ !
बर्बर, निरंकुश, निर्मम कानून का तुम लो सहारा !
पर भूल से भी भूल मत करना कि हम हैं लाचार, बेचारा !
जनमत की ताकत है हमारी हथेली पे !
अब तुम्हारे सामने हम नहीं झुकेंगें !
अब हम चुप नहीं बैठेंगे !
काले कानूनों की काली करतूतें !
मिटा मिटाती तुम्हें जितनी सबूतें !
पर अब हम डरने, सहमने,रुकने, झुकने वाले नहीं !
नहीं और आखिरी साँस तक नहीं झुकेंगें !
अब हम चुप
नहीं बैठेंगे !
अत्याचार-दमन का तुम थामो दामन,
सत्य-अहिंसा से हमारे लिए कोई विचार नहीं पावन।
इस अचूक हथियार का खाली कभी जाता नहीं वार !
हो जाओ तुम होशियार।
जबतक जीएंगें अहिंसक क्रांति का बीज बोएंगें।
अब हम चुप नहीं बैठेंगे, अब हम चुप नहीं बैठेंगे।