हम आज़ादी मना रहे हैं
हम आज़ादी मना रहे हैं
मात्र चंद रुपये चाहिए
जीवन – यापन के हेतु !
पर अपनी सेलरी वो,
हजारों में बढ़ा रहे हैं
आज़ाद भारत के नेता
आज़ादी मना रहे हैं।
अहिल्या या द्रौपदी हो,
की गयीं सभी अपमानित !
अमानव बन देश के बेटे,
वही परम्परा निभा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर
आज़ादी मना रहे हैं।
भ्रष्टाचार का जाल है फैला,
जात – पात पे हम हैं लड़ते !
होता देख कर अन्याय,
लाचारी से सहे जा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर
आज़ादी मना रहे हैं।
कुर्बानी दे वीरों ने
दी थी हमें आज़ादी !
अधिकार चाहिए हमें सारे
कर्तव्यों से इति श्री दिखा रहे हैं
आज़ाद भारत के हम वीर
आज़ादी मना रहे हैं।
* 28 रुपये 65 पैसे (सरकारी आंकड़ा )