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Kishan Negi

Tragedy Inspirational

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Kishan Negi

Tragedy Inspirational

आशाओं का इक दीया

आशाओं का इक दीया

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किसी मजबूर के हालात देख कर

अपनी खुशहाली पर मत इतराना

तुम क्या जानो क्या जुर्म सहे उसने

दो पल की शान पर मत इठलाना


वक्त ने समझदार बना दिया उसे

अपनी पीड़ा का इज़हार नहीं करता

दो क़दम साथ चलने को कहो अगर

कभी आजमा लेना इंकार नहीं करता


उसके दर्द भरे किस्से कौन सुनेगा

इस शहर के बाशिंदे जन्म से बहरे हैं

वक्त कम पड़ जाएगा नापते-नापते

ज़माने के दिए ज़ख़्म इतने गहरे हैं


खुशियाँ गिरवी हैं ऊंचे महलों में

मुकद्दर क़ैद है वक़्त की करवटों में

जिंदगी उसकी सिमटकर रह गई

मुफलिसी की उधड़ी सलवटों में


फुरसत में कभी उसके आँगन में

आशाओं का इक दिया जला देना

विशाल चट्टान जैसी परेशानियों को

मोहब्बत की गर्म लौ में गला देना।


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