रवि की किरण
रवि की किरण
तेरी मुस्कुराती तस्वीर बार बार मुझे चिढ़ा रही है,
तेरे गहरे दर्द भरे ज़ख्मों को हवा दे रही है,
दूर होकर के भी तेरे अरमानों की अर्थी उठा रही है,
पास आ कर के तो शायद तेरी जान ही जा रही है।
वैसे तो ज़िन्दगी में दर्द कम नहीं हैं शायद,
तेरी यादों ने उस दर्द को तो कम से कम कम किया,
ज़ाहिर है तेरा ग़म ही जीने के लिए काफी है शायद,
कि तेरी ही उम्मीदों पे हम ने पानी यों फेर दिया।
बहुत मिलेंगे ज़िन्दगी में तलाश जारी रहती है,
यों किसी से मुँह मोड़ लेने से दिल के रिश्ते नहीं टूटते,
आशियाने पे तेरे नज़र तो हर बार हमारी रहती है,
तेरे जीने की वजह नहीं हम, इक बार ये तो सोचते।
हम तेरी वो तलाश नहीं हैं कि जो आख़िरी हो,
हाँ मगर तेरी तलाश का ज़रिया तो बन सकते हैं,
इक बार विश्वास कर के तो देखो, ताउम्र निभाते हैं,
चाहे कितनी भी तीरगी हो, अकेला नहीं छोड़ते हैं।
ज़िन्दगी की इक कहानी खत्म होने से नई शुरू होती हैं,
बस दिल में इक चिराग की रोशनी ही काफी होती है,
और सामने इक नई उम्मीद रास्ता रोके खड़ी होती है,
बस उम्मीद की इक किरण ही काफी होती है।
ज़िन्दगी को यों अंधेरों में धकेलना जब महसूस हो,
शायद कहीं न कहीं अंधेरे में उजाला ही मौजूद हो,
तेरे ही अन्दर तेरी चाहतों का महकता हुआ वजूद हो,
बस अंधेरों से सम्भलता हुआ तेरा ही मकसूद हो।
सम्भव है ऐसा हो तो ज़िन्दगी मुकम्मल हो जाएगी,
तेरे वजूद को बस इक नई पहचान मिल जाएगी,
मौत की तरफ कदम बढ़ाने से पहले ज़रा सोच लो,
शायद निशा के जाते ही रवि की किरण नज़र आएगी।