माँ
माँ
माँ बनते ही हर महिला,
जाति-विहीन हो जाती है!
शूद्र-क्षेत्रीय-ब्राह्मण-वैश्य बन रोज़ाना
नित नई भूमिका वो निभाती है!!
पालन करते हुए शिशु का,
परिचारिका वो बन जाती है!
बच्चे की रक्षा की खातिर,
क्षत्रिय वो हो जाती है!!
बच्चे को संस्कार देते हुए
ब्राह्मण की भूमिका निभाती है!
बच्चे के लिए करती संचित "धन"
वैश्य धर्म वो निभाती है!!
माँ तो बस माँ ही होती है
दिल से रिश्ता वो निभाती है!
हो चाहे वो किसी भी धर्म की
… माँ के नाम से जानी जाती है!!
… माँ के नाम से जानी जाती है!!
