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Anju Gupta

Others

3.5  

Anju Gupta

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अब तलक

अब तलक

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थिरक रहे थे,

अब तलक

यह पांव धुन पे तेरी

तेरी धुन पर नाचने का

… चलन मैं छोड़ रही हूँ।


दिल छलनी हो जाता है

जब बोलते हो –

“दिन भर क्या करती हो ?”

बन कठपुतली ताने सुनने का

… क्रम मैं तोड़ रही हूँ।


पाँवों की पायल मेरी

सरगम लगती थी अब तलक

“अब लगने लगी हैं बेड़ियां”

इन बेड़ियों में जकड़े रहने का

… भ्रम मैं तोड़ रही हूँ।



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