हिन्दुस्तान की गाथा...
हिन्दुस्तान की गाथा...
गाथा हिंदुस्तान की दुनिया में हजार हैं
वतन पर मिटने वाले पैदा हुए हजार हैं
मलूँ देह पर यह मिट्टी या मिट जाऊं इस मिट्टी में
हिंदुस्तान हमारा है हम मिटने को तैयार हैं
कह दे कोई उन सांपों से फुफकार से डरते नहीं
नहीं एक शीश हमारा शीश हमारे हजार हैं
तुम बेचो अपना धर्म ईमान कुछ सिक्कों पर
हिंदुस्तान में तो शहीदों के बाजार हैं
किसी ने पुत्र गवाया है किसी ने पति गवाया है
एक अबला ने जीवन भर अपना फर्ज निभाया है
मत समझो मजबूरी है और हम लाचार है
मिटने को भारत मां पर उसके पुत्र हजार है।