हिन्दी कविता- बाल जीवन है अनुप
हिन्दी कविता- बाल जीवन है अनुप
नन्हे मुन्ने दुलारे निश्छल मीठे प्यारे बोल
गूँजे किलकारी बलिहारी दिल दरवाजे खोल
देश के भावी कर्णधार तुम्हीं
खेवन नईया नजधार तुम्हीं
बाल जीवन है अनुपम नहीं कोई मोल
बेपरवाह लापरवाह चिंता भय नहीं
खेलकुद की मस्ती दोष मय नहीं
तोतली मिसरी बोली हंसी है अनमोल
गीली ड्ंटा कबड्डी सबमे बच्चे अव्वल है
लड़ते झगड़ते फिर मिल बजाते ढ़ोल
सबसे न्यारा सबसे प्यारा बचपन होता है
बीते दिनो करते याद उम्र पचपन होता है
ठिकाना खुशी नहीं जब करते गेंद गोल
खेल खेल पढ़ लिख साहब बन जाओ तुम
हर दिशा देश तरक्की कर दिखलाओ तुम
जान से प्यार देश हमारा जय हिन्द बोल
बच्चों को सब मानव अधिकार दिलाना है
शिक्षा खानाआवास रोजगार दिलाना है
हो भयमुक्त चिंतामुक्त बचपन भय ना डोल।