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संदीप सिंधवाल

Abstract

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संदीप सिंधवाल

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हिंदी की गरिमा

हिंदी की गरिमा

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हिंदी पुरातन भाष है, जिसमें भाव अपार

सहज सरल सरस इतनी, कि सीख रहा संसार


साहित्य इसका महान, जग में है पहचान

युगों का बखान इसमें, मिलता सारा ज्ञान


जहां सारा अचरज है, पढ़ के ग्रंथ पुराण

लौकिक है ज्ञान इसमें, वांचता हर सुजान


संस्कृत से ही हिंदी है, हिंदी समझता देस

हिंदी से ही संस्कृति है, मिटाता सकल द्वेष


हिंदी भाषा बोली से, बोलचाल आसान

शालीन मधु वाणी से, पिघल जात पासान


राष्ट्र एक भाषा भी, सिवा हिंदी न विकल्प

भाषा में न बंटे देश, ना हो कलंकित कल्प


कहे सिंधवाल आप से, मन में करें चिंतन

हिंदी के प्रसार से ही, नव विश्व करें सृजन।


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