Dinesh Dubey

Abstract

4  

Dinesh Dubey

Abstract

हिंदी दिवस

हिंदी दिवस

1 min
376


हिंदी दिवस के दिन छाता है,

हिंदी का खुमार सबको,

दूसरे दिन से हो जाते हैं,

अंग्रेजों के बाप फिर से,।

बेइज्जती है महसूस करते ,

हिंदी में बात करने में ,

प्रणाम ,नमस्कार छोड़ कर ,

हाय, हैलो को अपनाते हैं,।

हिंदी दिवस में सबसे पहले ,

स्टेटस लगा देते हैं अहले ,

काश हम पूर्ण रूप से यहां,

हिंदी को अपना लेते ,।

भारत देश की गरिमा को ,

एक नया आयाम दे पाते ,

हिंदी कहने को है मातृ भाषा,

आधे देश को यह ना भाता ,।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract