हौसले को पैनी नज़र की धार कर
हौसले को पैनी नज़र की धार कर
गर इश्क़ है तो दिल्लगी मत यार कर,
चोट इस दिल पर न तू हर बार कर.
बोल मीठे बोल दो तो जी जाएंगे,
दिल की बातों में न यूं तकरार कर.
इक मचलता सा कोई अरमां हूं मैं,
भर के बांहों में मुझे तू प्यार कर.
डूब जाऊं ना मैं लहरों में कहीं,
इस मझधार से मुझे तू पार कर.
कहीं घबराकर हार ना जाएं हम,
हिम्मत से तू मेरे संग तलवार कर.
मंज़िल दूर नज़र आ रही है तो क्या,
अपने हौसले को पैनी नज़र को धार कर.