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Manoj Saraswat

Tragedy

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Manoj Saraswat

Tragedy

हैप्पी फादर्स डे

हैप्पी फादर्स डे

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जाते जाते वो अपने जाने का गम दे गये…

सब बहारें ले गये रोने का मौसम दे गये…

ढूंढती है निंगाह पर अब वो कही नहीं…

अपने होने का वो मुझे कैसा भ्रम दे गये…

मुझे मेरे पापा की सूरत याद आती है…

वो तो ना रहे अपनी यादों का सितम दे गये…

एक अजीब सा सन्नाटा है आज कल मेरे घर में…

घर की दरो दिवार को उदासी पेहाम दे गये…

बदल गयी है अब तासीर, तासीरी जिन्दगी की…

तुम क्या गये आंखो में मन्जरे मातम दे गये!


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