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Manoj Saraswat

Tragedy

4  

Manoj Saraswat

Tragedy

तितली

तितली

1 min
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तितली बनने का सपना देख रही थी

खुद को खुले आसमान में उड़ता देख रही थी,

अभी वो एक लार्वा थी इंतज़ार में थी पंखो के लिए

धैर्य बांधे बैठी थी आज़ादी से उड़ने के लिए,

अचानक एक हवशी जानवर आया

उसके हर एक पंख को नोच खाया,

वो मासूम निकल ना पाई उस शिकंजे से

हर ओर से घायल हो गई काम और लोभ के पंजे से,

वह खूब रोई , खूब चिल्लाई 

मगर दरिंदो ने कोई सहानुभूति ना दिखाई,

गले से उसकी नस दबा रखी थी

खुलकर वो चिल्ला भी ना पा रही थी,

उसे खरोंच दिया , उसे तोड़ दिया

उसके हर एक कोमल पंख को मरोड़ दिया,

फिर उसे धक्का दिया गया समाज की गहरी खाई तक,

समाज का लहजा देख भूल गई अपनी परछाई तक, 

उसका कोई नहीं था कसूर

फिर भी समाज के लिए थी नासूर,

कर मां बाप को प्रणाम

चुपके से छोड़ गई प्राण, 

उसकी गलती थी कि वो एक लड़की थी, एक बेटी थी,

जिस कारण उसे इन सब से पड़ा लड़ना

वो तो केवल चाहती थी तितली बन आकाश में उड़ना।



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