हाथरस सुलग उठा
हाथरस सुलग उठा
सुलग रहे नारी रक्षा पर , जलते कई सवाल ।
होता उसका यौनिक शोषण ,हर दिन मचे बवाल।।
कहीं नहीं मिलता उसको अब , मान और सम्मान ।
अखबारों से खून टपकता , इज्जत लहूलुहान।।
करे हाथरस की घटना ये , लज्जित व शर्मसार ।
आया संकट नारि जाति पर ,हो रहा बलात्कार ।।
बेटी को बनना होगा अब , सबला ओ ' दमदार ।
लक्ष्मीबाई बनके उसको , रखनी है तलवार ।।
रखना होगा अपने सँग में , कोई भी हथियार ।
हो सँग में मिर्ची का पाउडर , करने को अरि वार ।।
रख सँग में चाकू को हरदम, दुश्मनों पर प्रहार ।
जुडो - कराटे की शिक्षा ले , गुंडों को दे मार ।।
