हाथ शमशीर
हाथ शमशीर
लक्ष्य है सामने नजरों के
फिर क्यूँ अधीर हो
हौसले से निशाना लगाओ
जब हाथ में शमशीर हो
राह की चिंता नहीं
पथभ्रष्ट न हो सके
अब सहना हर दर्द को
मुस्कुराना चाहे पीड़ हो
तोड़ दो सीमाओं को
लाँघ दो दीवार को
एक वार में तोड़ दो
पैर में जो जंजीर हो।