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Lokanath Rath

Romance Tragedy Classics

4  

Lokanath Rath

Romance Tragedy Classics

हाथ ना पकड़ा तो

हाथ ना पकड़ा तो

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190


हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं

 समझौते अक्सर दर्द देते है

बात ना करनी थी पूछा कियूं

खामोशीयां अक्सर रुला देते है....


साथ ना चलना था आया कियूं

घबराना अक्सर हरा देते है

कुछ ना कहेना था हसा कियूं

नजराना अक्सर धोका देता है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं......


दिन ना ढलना था सोचा कियूं

अंधेरोंमे अक्सर ऐसे आता है

चाँद ना खिलता तो रोना कियूं

चाँदीनीतो अक्सर आता जाता है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं......


दिल ना जोड़ते तो बोलू कियूं

दिललगी अक्सर दुःख देता है

प्यार ना करना था जुडा कियूं

बिछड़ना अक्सर रुला देता है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं.....


सिर्फ ना कहेना था आया कियूं

बेवफाई अक्सर दिल तोड़ा है

वफ़ा ना करना था मिला कियूं

अलबिदा अक्सर आँसू देता है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं.......


वक़्त ना ठैरता था भला कियूं

 निकलता अक्सर तेज होता है

फिर ना समझ ये मन कियूं

 तड़पता अक्सर ये दिल तो है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं......


सोचा ना समझा तो फिर कियूं

 सोचनेका अक्सर वक़्त नहीं है

फिर ना कहेना की तुम कियूं

 समझना अक्सर भूल जाते है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं....

 

सांस ना चलता तो फिर कियूं

जिन्देगानी अक्सर धोका खाता है

अब ना कहेना ये तुम कियूं

जीबनमे अक्सर ऐसा होता है

हाथ ना पकड़ा तो चलू कियूं

समझौते अक्सर दर्द देता है......


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