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अहमद अज़ीम

Drama

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अहमद अज़ीम

Drama

हार का हुआ नहीं मलाल तक

हार का हुआ नहीं मलाल तक

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इसी लिए तो हार का हुआ नहीं मलाल तक

वो मेरे साथ-साथ था उरूज से ज़वाल तक।


नहीं है सहल इस क़दर के जी सके हर एक शख़्स

बला-ए-हिज्र की रुतों से मौसम-ए-विसाल तक।


हमारी किश्त-ए-आरज़ू ये धूप क्या जलाएगी

तुम्हारा इंतिज़ार हम करेंगे बर-शिगाल तक।


अमीक़ ज़ख़्म इस क़दर ब-दस्त-ए-रोज़-ओ-शब मिले

के मुंदमिल न कर सकी दवा-ए-माह-ओ-साल तक।


क़ुबा-ए-ज़र्द-ओ-सुर्ख़ का ये इम्तिज़ाज-अल-अमाँ

जमाल को वो ले गया परे हद-ए-कमाल तक।


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