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रात का कोई पहर है तेज़ हवा का कहर है ख़ौफ-ज़दा दिलों में सब हर्फ़ दुआ के आए हैं। रात का कोई पहर है तेज़ हवा का कहर है ख़ौफ-ज़दा दिलों में सब हर्फ़ दुआ के आए हैं...
ढूँढ सीपी की तरह दिल को न साहिल के क़रीब ये सदफ़ दूर बहुत दूर तह-ए-आब गिरा। ढूँढ सीपी की तरह दिल को न साहिल के क़रीब ये सदफ़ दूर बहुत दूर तह-ए-आब गिरा।
सफ़ीना मौज-ए-सैल-ए-बला से गर्म-ए-सतीज़ हवा का बार-ए-गिराँ बादबान थामे हुए सफ़ीना मौज-ए-सैल-ए-बला से गर्म-ए-सतीज़ हवा का बार-ए-गिराँ बादबान थामे हुए
फिर समुंदर की तरफ़ लौट चली मौज-ब-मौज फिर कोई तिश्ना-दहन आ के सर-ए-आब गिरा फिर समुंदर की तरफ़ लौट चली मौज-ब-मौज फिर कोई तिश्ना-दहन आ के सर-ए-आब गिरा
जमाल को वो ले गया परे हद-ए-कमाल तक। जमाल को वो ले गया परे हद-ए-कमाल तक।
एक सम-ए-अज़ाब सा फैल गया वजूद में रोज़-ओ-शब-ए-फ़िराक़ ने जीना मुहाल कर दिया एक सम-ए-अज़ाब सा फैल गया वजूद में रोज़-ओ-शब-ए-फ़िराक़ ने जीना मुहाल कर दिया
दरिया लहू का हर रग-ए-पोशाक से उठा। दरिया लहू का हर रग-ए-पोशाक से उठा।
तू ने भी सारे ज़ख़्म किसी तौर सह लिए मैं भी बिछड़ के जी ही लिया मर नहीं गया तू ने भी सारे ज़ख़्म किसी तौर सह लिए मैं भी बिछड़ के जी ही लिया मर नहीं गया
बोये हैं बहुत चश्म-ए-तमन्ना में यहाँ ख़्वाब तब जा के ज़मीं दिल की ये बारानी हुई है। बोये हैं बहुत चश्म-ए-तमन्ना में यहाँ ख़्वाब तब जा के ज़मीं दिल की ये बारानी हुई...
ये रूह एक ताइर-ए-वहशी नज़ाद है हर दम सफ़र के वास्ते तय्यार चाहिए ये रूह एक ताइर-ए-वहशी नज़ाद है हर दम सफ़र के वास्ते तय्यार चाहिए