हाँ... बहुत रोया था वो....
हाँ... बहुत रोया था वो....
छोड़ के अपने गली के छोर तक मुझे
आँसू छुपा कर बहुत रोया था वो,
रोती थी मेरी आँखों को हँसता छोड़
तड़प - तड़प के बहुत रोया था वो,
जिंदगी जीने की ख्वाहिश में,
जिंदगी को आँखों से बहुत दूर जाते देख,
सिसक -सिसक कर बहुत रोया था वो,
मिलकर हर खुशी को,
हर पल में ही सब कुछ मिटता देख
अपने आप से रूँठ कर बहुत रोया था वो,
यादों में मेरी, नहर किनारे बैठ,
आँसुओं को पानी से धोते,
खामोशी से अंदर ही अंदर चिल्लाते बहुत रोया था वो,
मुहब्बत तो थी,
मगर अब मुहब्बत की आदत को ,
अपने अंदर सिमटे बहुत रोया था वो....
हाँ बहुत रोया था वो.....