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MANISHA JHA

Romance

4  

MANISHA JHA

Romance

गुलाबी इश्क

गुलाबी इश्क

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इश्क़ वो गुलाब है

अगर सच्ची हो तो लाजबाब है


ये सुबह की आदाब है, शाम की शराब है

महफिल का शोर है, अँधेरे का भोर है


बेचैनी की भी चैन है, तन्हाई की ये मौन है

अमावस्या की पूर्णिमा है,मेरे लव की ना कोई सीमा है


ये दर्द का मसाज है, ये मर्ज बेइलाज है

ये कितना गहरा है, ये कितना संकरा है 


इसकी दरिया में डूबकी जब लगाओगे 

मेरा वादा है तुमसे, सीप के मोती ही पाओगे।


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