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ग्रीन वैली

ग्रीन वैली

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कहीं कूदता है

उछालें मारता है

बचपन का हिरण

कभी कभी चकित भाव से

देखता है अनचीन्हा व्यवहार

दशकों पुरानी एक फ्रॉक से

निकल निकल कर

उड़ने लगती हैं कुछ तितलियाँ

पहाड़ी झरनों के पानी में

बाल धोने वाली एक लड़की

नहीं टपकने देती 

नल से बूँद भर पानी

बाल्टी भर जाने के बाद

कितने देवदार,चिनार,अमलतास

बड़े हुए जिसके बचपन के साथ साथ

जिसकी आँखों ने नहीं देखे कटते पेड़

रोक कर सड़ा दिया गया पानी

प्लास्टिक के हरे पेड़ों पर

टँगे नकली घोसलें

देखती है

और सुनती है मशीनी कलरव

पढ़ती है अख़बारों में रोज़

ग्लेशियरों का पिघलते जाना

पशु पक्षियों की विलुप्त होती प्रजातियाँ

लालसा और संतुष्टि का उठता गिरता ग्राफ

बोतलबन्द पानी से थपकती है

एक अतृप्त प्यास

एक टकटकी लगाती है

घिरती शाम में आकाश की ओर

और सहम जाती है

कहीं ये चाँद तारे भी असली न हुए तो?

रंगबिरंगी लेगिंगज़ पर टँगे

आड़े,तिरछे,चौरस नोकदार कुरतों को देख

पाइन ट्री के नुकीले उभार

याद करती है पहाड़ों की चोटियाँ

और उनकी तराई में पसरी फूलों की घाटी

और मुस्कुरा देती है

याद कर सतधारा के बीच 

चमकता इंद्रधनुष आँखों में भर

आज पाँच जून हैं


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