गरीबों का दर्द
गरीबों का दर्द
जो चलते हैं फूलों पर,
वो कांटों का दर्द क्या जानेंगे।
जिसने गहना हो मखमली लिबास,
वो खुला तन का दर्द क्या जानेंगे।
पेट भरकर सोते हैं जो,
भूखों का दर्द क्या जानेंगे।
महलों में रहने वाले,
खुले आसमां का दर्द क्या जानेंगे।
झूठे आंसू बहाने वाले,
सच्चे आंसू का दर्द क्या जानेंगे।
जिसको मतलब हो खुद सत्ता से,
वह गरीबों का दर्द क्या जानेंगे।