अधूरा इश्क
अधूरा इश्क
अधूरा इश्क हम सब की अमानत है
बरसो से दिल के एक कोने में
छिपा हुआ किसी मीठी याद सा
इत्र सा महकाता है जीवन को
कठिन समय में फूल सा कोमल
स्पर्श बनकर सहलाता है मन को
क्योंकि अधूरा इश्क जो कभी
कोई भुला नही पाता,चाह कर
भी नही चाह पाता भुलाना
बस एक दर्द सा शामिल रहता है
मुस्कान में भी दिख जाता है
पर किसी को नज़र नही आता है
यह इश्क है ज़नाब यह मुक्कमल
हो जाये तो इश्क कहाँ रह जाता है।