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Arunima Thakur

Abstract

4.5  

Arunima Thakur

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स्वतंत्रता

स्वतंत्रता

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स्वतंत्रता हर एक की चाहत है। 

हर एक को प्यारी है, 

हर एक को चाहिए भी।


स्वतंत्रता अपने कर्तव्यों से, 

स्वतंत्रता अपने रिश्तो से, 

स्वतंत्रता अपनी जिम्मेदारियों से, 

स्वतंत्रता हर उस बंधन से 

जो बांधता है उन्हें 

सामाजिक दायरों में।


खलते हैं यह बंधन,

घर लगता है पिंजरा, 

रिश्ते लगते हैं पहरेदार। 


नहीं चाहिए परिवार 

क्योंकि परिवार में बंधन है,

जिम्मेदारी है, कर्तव्य है।


चाहिए स्पेस, परिवार में भी स्पेस 

रिश्तो में भी स्पेस। 

बच्चों को माँ-बाप से स्पेस चाहिए, 

पत्नी को पति से स्पेस चाहिए।


स्पेस मतलब क्या ?

सीधी सी बात है भाई 

स्पेस मतलब थोड़ी सी स्वतंत्रता।

कायरों को भी  चाहिए 

स्वतंत्रता अपने जीवन से,

जीवन की कठिनाइयों से।

पर भूल जाते हैं यह

स्वतंत्रता के चाहने वाले।

यह बंधन जो है ना,

जिनसे उन्हें स्वतंत्रता चाहिए।


यह वह महीन धागा है 

जो बांधे रखता है उन्हें 

उनकी धुरी से, उनकी जमीन से 

उनकी जड़ों से।


क्या हो जाए अगर 

गुरुत्वाकर्षण खत्म हो जाए ?

धरती स्वतंत्र हो जाए ?

क्या हो अगर धागा टूट जाए


और पतंग स्वतंत्र हो जाए ?

 कल्पना नहीं कर सकते ना 

पर पतंग की तो कर सकते हो ना

 वही हाल होता है इंसान का भी 


जब जब वह बंधनों से 

स्वतंत्र होना चाहता है

स्वतंत्रता निस्संदेह अच्छी है,  

पर बंधन भी जरूरी है।


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