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Arunima Thakur

Tragedy

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Arunima Thakur

Tragedy

चाहतें ...

चाहतें ...

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खंडहरों की चाहते नहीं

हसरतें होती हैं।


कि ए मुसाफिर तू कुछ साल

पहले क्यों न आया ?


काश! देखी होती हमारी

शान औ शौकत


हमारा रुआब, हमारा

खुद पर इठलाना


अब आया है जब सिर्फ

खंडहर ही शेष है


ना आशाएं है, ना इच्छाएं,

ना जीने की तमन्नाएँ


काश! कोई सुन लो और

 ज़मींदोज़ कर दो


इन खंडहरों को बहुत अरसा

हुआ सुस्ताए हुए।


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