niranjan niranjan

Abstract

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पिता

पिता

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जूते के टूटे तलवे,

 पैरों में चुभते कंकड़।

हर कंकड़ उसे दुख दे रहा है,

 परंतु वह हर दुख हंसकर सह रहा है।

 वह कौन है?


वह मेरे पापा है।

परिवार की खुशी के लिए, 

अनवरत मेहनत कर रहा है।

शायद उसे मंजिल पानी है,

 इसलिए वह नहीं रुक रहा है।


हमारी हर खुशी के लिए,

 उसने हर दर्द को सहा है।

हंसता रहता है वह हरदम,

 जब भी घर में आता है।


पसीने की हर बूंद बता रही है,

 कि वह कितना लड़ रहा है।

चाहत नहीं है उसे शान शौकत की,

 वह अपने काम पर ध्यान दे रहा है।


हमारी हंसी उसको ताकत देती है,

उसे काम करने के लिए बल देती है।

विश्वास है उसे अपनी मेहनत पर,

इसलिए वह हर दुख को सह रहा है।


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