niranjan niranjan

Abstract Action Inspirational

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Abstract Action Inspirational

मजदूर

मजदूर

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मैंने सड़कों पर चलते,

उन मजदूरों को देखा है।

जिनको वोट के समय,

स्वपन दिखलाये जाते हैं उनकी उन्नति का।


पैरों में छाले थे ,पेट कमर पर चिपके हुए थे।

 चाहा उनकी एक थी उनको घर जाना था।

मजदूर था हार कैसे मानता,

 हर कष्ट मंजूर था, पर उसको घर जाना था।


तीन बच्चों के साथ, पत्नी का लिए हाथ।

ना उसे कोई उम्मीद थी सरकार से,

कोसों मीलों पैदल चला।


भूखे बिलखते बच्चों को देखकर,

आंखों में आंसू आया था।

पर हिम्मत न हारी उसने,

 क्योंकि वह मजदूर था।

उसको तो खुद से लड़ना था।

एक मजदूर की व्यथा।


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