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Meena Mallavarapu

Tragedy Inspirational

4  

Meena Mallavarapu

Tragedy Inspirational

दर्द का मोल

दर्द का मोल

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रास न आई मुझे यह ज़िंदगी,ये ज़िंदगी

दुख दर्द भरी इस दुनिया में रखा क्या है

आखों में आंसू दिल में तड़प- शर्मिंदगी

इतनी कि क्या बताऊं- खता मेरी क्या है


चाह कर भी औरों की पीर हर न सकूं

पोंछ सकूं आंसू-न अपनों के न गैरों के

हार का एहसास - चाहती हूं न थकूं 

रिसते हैं छाले,देख ज़िंदगी,इन पैरों के !


 मगर दुख दर्द की सीमा नज़र न आती

  थकन ,घुटन, दर्द ,शिकवा, शिकायत

 का राग हूँ सुनती,मेरी ज़िंदगी की धाती

  इन्हीं पर लगता है, तेरी है इनायत


क्यो हंसी खुशी से इतना रूखा तेरा व्यवहार

क्यों इतनी जल्दी चैन- सुकून लेती है तू छीन 

क्या है तेरा मकसद,तेरे फ़लसफ़े का आधार

क्यों नहीं बजा देती ऐ ज़िंदगी जादू की वह बीन


जादू की वह बीन ,जो कर दे छूमंतर पल में

त्रास का नामों निशान- दुखड़े सब छुप जाएं

ढूंढें भी गर नज़र न आए - न जल में ,न थल में

हम इन्सान कुछ पल की राहत तो ले पाएं!


ज़िंदगी ने कहा अरे नादान-ढूंढ ले सुख का मोती 

तू हर सीप से - मोल तुझे , लगता है ,नहीं पता!

धुल जाता मन का मैल मलाल,आंख जब है रोती

जान ले,हर दुख के अंदर बीज सुख का पनपता 

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